इस व्रत को करने से मन को शांति और घर में सुख आता है
गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा की जाती है। पूजा करने से आप पर भगवान विष्णु खुश होते हैं। गुरुवा के दिन पूजा करने के लिए आपको पीले कपड़े पहनने चाहिए। आज के दिन सभी चीजे पीले रंग की ही उपयोग में लानी चाहिए। कैसे की जाती है गुरुवार
गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा की जाती है। पूजा करने से आप पर भगवान विष्णु खुश होते हैं। गुरुवा के दिन पूजा करने के लिए आपको पीले कपड़े पहनने चाहिए। आज के दिन सभी चीजे पीले रंग की ही उपयोग में लानी चाहिए। कैसे की जाती है गुरुवार की पूजा जिससे आपके घर आएगी शुख समृद्धि।
गुरुवार जिसे बृहस्पतिवार भी कहते हैं। यह दिन गुरु दोष शांति के लिए विशेष दिन माना जाता है। गुरु ग्रह का दोष के कारण विवाह न होना जैसी और भी तमाम सामस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विवाह में समस्या होने वाले जातकों के लिए गुरुवार का दिन शुभ होता है। इन तमाम समस्याओं से यदि आप निजात पाना चाहते हैं तो कुछ उपाय बताए गए हैं।
सुबह उठकर नहाने के बाद पिला कपडा पहने। उसके बाद पीले फूल और गुड चने की दाल को एक साथ मिला कर प्रसाद बनाएं। इस प्रसाद को आप भगवन को अर्पण कर पूजा करें इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद आपके घर पर सदा बनाए रखेंगे। गुरुवार की पूजा विधि-विधान के अनुसार की जानी चाहिए। बृहस्पति देव का पूजन पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दान, पीली मिठाई, पीले चावल आदि का भोग लगाकर किया जाता है। केले के पेड़ क पास बैठ कर भगवान बृहस्पति की तस्वीर रखकर पूजा की जाती है। यह पूजा भगवान बृहस्पति देव की व्रत कथा पढ़ कर पूरी होती है।बृहस्पति व्रत रखने पर केवल पीले फल ग्रहण करने चाहिए। पीली वस्तु दान करने से मन को शांति और घर में सुख आता है। भगवान बृहस्पति देव की पूजा मात्र से आपके घर में गुरु का वास होता है। जहां विष्णु रहतें हैं वहां माता लक्ष्मी भी रहती हैं। मन से सभी बुरे विचार त्याग कर भगवान के चरणों में अपने जीवन को अर्पण करें। सोने का दान भी बहुत शुभ है। गुरुवार के दिन नहाते समय पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करे इसके बाद 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करते हुए केसर का तिलक लगाए और केले के वृक्ष में जल अर्पित हुए उसकी धूप- दीप से पूजा करें।
विवाह समस्या निवारण
- पुखराज पहनें। और गुरुवार के दिन विष्णु मंदिर में पीले फल अर्पित करें।
- गुरूवार के दिन उपवास रखें। निर्धन लोगों को भोजन कराएं।
- अपने पूर्वजों और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।